भट्ट नारायण रचित संस्कृत नाटक "वेणीसंहार"
रामायण और महाभारत संस्कृत भाषा और अन्य भाषाओं की कई कृतिओ के आधार बने है। रामायण- महाभारत को आधार बनाकर संस्कृत में कई सरे नाटक, महाकाव्य इत्यादि साहित्यप्रकार की रचना हुई है। ई.पूर्व. पांचवी शताब्दी में हुए संस्कृत साहित्य के प्रथम नाट्यकार महाकवि भास ने तेरह नाटकों का सर्जन किया था। उनमें से छ: नाटक महाभारत पर ही आधारित है- दूतघटोत्कचम् , दूतवाक्यम्, कर्णभारम् , मध्यमव्यायोग: , पञ्चरात्रम्, और उरुभंगम् महाकवि भास के बाद ईसवीं तेरहवीं शताब्दी में हुए संस्कृत नाट्यकार भट्टनारायण ने महाभारत को अपने नाटक 'वेणीसंहार' का आधार बनाया है। 'वेणी' का अर्थ है स्त्रयों के बाल यानी 'चोटी' 'संहार' का अर्थ है सजाना, व्यवस्थित करना या, गुंफन करना। दुःशासन द्रौपदी के खुले हुए केश पकड़ के बलपूर्वक घसीटता हुआ द्युतसभा में लाता है, तभी द्रौपदी प्रतिज्ञा करती है कि जबतक दुःशासन के रक्त से अपने बालो को भिगोएगी नहीं तब तक अपने बाल ऐसे हु बिखरे हुए रखेगी । भट्टनारायण रचित इस नाटक के अंत में भीम दुःशासन का वध करके उसका रक्त द्रौपदी के खुले केश में लगाता है और चोटी का गुं